दिल्ली ने झेला सीजन का सबसे खराब वायु गुणवत्ता, दृश्यता घटकर 150 मीटर तक पहुंची

 


दिल्ली में सर्दी का आगमन एक ओर जहां ठंडी हवाओं का सुखद अहसास कराता है, वहीं दूसरी ओर वायु प्रदूषण की समस्या हर साल विकराल रूप धारण कर लेती है। इस बार भी हालात गंभीर हो चुके हैं। रविवार सुबह दिल्लीवासियों ने सीजन के सबसे खराब वायु गुणवत्ता स्तर (AQI) का सामना किया। इसके चलते न केवल सांस लेने में दिक्कतें बढ़ीं, बल्कि दृश्यता भी घटकर महज 150 मीटर तक सीमित हो गई।  


वायु गुणवत्ता सूचकांक और इसके दुष्प्रभाव

दिल्ली का औसत AQI 450 के आसपास दर्ज किया गया, जो ‘गंभीर’ श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्तर इंसानों के स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक है। इस प्रदूषण का प्रभाव खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और पहले से सांस संबंधी बीमारियों से ग्रसित लोगों पर ज्यादा देखा जा रहा है।  


दृश्यता में गिरावट से प्रभावित यातायात 

दृश्यता घटने का असर सड़क, रेल और हवाई यातायात पर भी पड़ा। सुबह के समय वाहन चालकों को हेडलाइट जलाकर वाहन चलाने पड़े। कई उड़ानों को रद्द या देर से रवाना करना पड़ा। रेलवे सेवाएं भी प्रभावित रहीं।  


प्रदूषण के कारण


दिल्ली में प्रदूषण के बढ़ने के कई कारण हैं:  




1. पराली जलाना: 

पड़ोसी राज्यों पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं में वृद्धि।  

2. वाहन प्रदूषण: 

दिल्ली की सड़कों पर बढ़ते वाहनों की संख्या।  

3. निर्माण गतिविधियां: 

खुले में निर्माण सामग्री और धूल का उड़ना।  

4. ठंडी हवा और निम्न दबाव: 

ठंडी हवाएं प्रदूषकों को वायुमंडल में ऊपर उठने नहीं देतीं।  


सरकार के कदम

दिल्ली सरकार ने स्थिति से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं:  

ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) लागू किया गया है।  

निर्माण और तोड़फोड़ की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया गया है।  

स्कूली बच्चों की सुरक्षा के लिए स्कूलों में आउटडोर गतिविधियों पर रोक लगाई गई है।  

 सार्वजनिक परिवहन को प्रोत्साहित करने के लिए अधिक बसें चलाई जा रही हैं।  


जनता की जिम्मेदारी

हालात को सुधारने में जनता की भी बड़ी भूमिका है। वाहन साझा करना, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग, कचरा जलाने से बचना और पौधारोपण जैसे छोटे प्रयास प्रदूषण को कम करने में मदद कर सकते हैं।  



दिल्ली में वायु प्रदूषण हर साल की समस्या बनता जा रहा है, लेकिन इसे स्थायी रूप से हल करने के लिए सरकार और जनता दोनों को मिलकर काम करना होगा। स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए, यह समय है कि हम अपनी आदतों में बदलाव करें और पर्यावरण की सुरक्षा के प्रति जागरूक बनें।  


"स्वच्छ हवा, स्वस्थ जीवन" के संकल्प के साथ, हमें इस चुनौती का सामना करना होगा।

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